प्रिय विद्यार्थियों, अभिभावकों✍️
मैंने अपने अनुभव से पाया है कि देखा जाए तो आधुनिक युग में संस्कृत भाषा सभी मातृ भाषाओं की माता है। हम मनुष्य भाषा के साथ भी "मातृ" शब्द जोड़ते हैं तो इस तरह संस्कृत भाषा, किसी भी भाषा बोलने वाले के लिए नानी की भांति है। और आधुनिक भाषाएं संस्कृत की संतानें हैं। जैसा स्नेह और सम्मान हम अपनी जन्मदात्री मां को देते हैं उतना ही दुलार और आदर अपनी मातृ भाषा को देते हैं और देना भी है, क्योंकि मातृभाषा हमारी वाणी को जन्म देती है। फिर संस्कृत यानी नानी से तो स्वतः ही प्यार होगा ही।
संस्कृत में महारत पाते ही व्यक्तित्व में वह क्षमता आ जाती है कि वह संसार की किसी भी भाषा को आसानी से सीख सकता है। अतः संस्कृत का बेसिक ज्ञान सभी को होना चाहिए ताकि सभी लोग विश्व भर की भाषाओं को जानने की क्षमताओं से ओतप्रोत हो जाएं और दुनिया में घूम घूमकर विश्व बंधुत्व को बढ़ावा दें।
हम किसी भी मातृ भाषा को जानने वाले भले हों, संस्कृत और हिंदी को भी पढ़ें, समझें और बोलें यही अभिलाषा है।
Experience
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Aacharya, master (Jun, 2019
–Jul, 2024) at Saraswati shishu mandir, Jaipur
Education
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B.Ed. (Jan, 2021–Dec, 2023) from MAHARAJA CHHATRASAL BUNDELKHAND UNIVERSITY, CHHATARPUR–scored 1st Class
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BJMC, Bachalor Of Journalism and Mass communication (Jan, 2016–Dec, 2018) from Mahatma Gandhi gramoday University, chitrakoot–scored 1st Class
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Aacharya, MA in Sanskriti With Hindi Vyakaran (Apr, 2012–Jul, 2015) from uttar pradesh sanskrit sansthan–scored 1st Class